जगन्नाथ रथ यात्रा 2020

  • Jagannath Rath yatra
पूर्व भारतीय उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से सम्पूर्ण जगत का उद्भव हुआ है। श्री जगन्नाथ जी पूर्ण परात्पर भगवान है और श्रीकृष्ण उनकी कला का एक रूप है। ऐसी मान्यता श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य पंच सखाओं की है।


पूर्ण परात्पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरम्भ होती है। यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, इसके दर्शन लाभ के लिए हज़ारों, लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं। 


वर्तमान समय में जगन्नाथ रथ यात्रा बहुत जोरों शोरों से निकाली जाती है जिसमें कई लोग शामिल भी होते है लेकिन इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा में कोरोना महामारी के कारण सिमिति लोग ही शामिल हो सकते हैं सरकार के आदेशों की लोगअनुपालन नहीं कर सकते है। लोग जगन्नाथ रथ यात्रा में जाने के  बहुत इच्छुक होते हैं तथा उनको मानते भी हैं लेकिन उन्हें  पता नही है कि केवल जगन्नाथ की ही भक्ति श्रद्धा और आस्था से हमारे सभी दुख दूर हो सकते हैं जगत नाथ जी के कई सारे भक्त हैं जो की पूरी श्रद्धा से भक्ति करते हैं लेकिन वह फिर भी पूरी तरह से सुखी नहीं होते हैं ऐसा क्यों होता है क्या वह सही भक्ति नहीं कर रहे या फिर कोई और कारण है।
 ऐसा इसलिए कि वेदों में जगन्नाथ की भक्ति करने के लिए कहीं भी नहीं लिखा गया है जगन्नाथ जी संपूर्ण समाज मन नहीं है वह भक्तों के कष्ट दुख दूर नहीं कर सकते क्यों किसी और महा शक्ति की भक्ति करते हैं।


हमारे वेदों में लिखा भी है कि जो व्यक्ति तीनों गुणों यानी ब्रह्मा विष्णु महेश की भक्ति करते हैं तो उन्हें कोई लाभ या गति प्राप्त नहीं होती है यह संत रामपाल जी महाराज ने भी प्रमाणित किया है कि "तीन देव की जो करते भक्ति उनकी कभी ना होवे मुक्ति"

संत रामपाल जी महाराज ऐसे संत हैं जो कि वेदों के अनुसार प्रमाणित ज्ञान बताते हैं अपने मनमर्जी से कोई भी बात नहीं बताते मैं स्वयं हमारे धार्मिक पुस्तकों को खोल कर वीडियो के द्वारा आप बताते हैं कि इस पुस्तक में यह लिखा है।


अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखिए जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन सर्व पवित्र धर्म के पवित्र शास्त्रो के आधार पर साधना टीवी रात 7:30 से 8:30


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किस प्रकार इस पृथ्वी की सृष्टि रचना हुई? इस पृथ्वी को किसने बनाया ? वर्तमान में मानव विज्ञान के क्षेत्र में कई तरीके से तरक्की कर चुका है तथा विज्ञान के व्यक्ति अर्थात वैज्ञानिक जो कि परमात्मा में बिल्कुल भी विश्वास नहीं रखते ।वे मानते हैं कि यह सृष्टि हम मानव द्वारा ही बनाई गई है। वे परमात्मा में विश्वास नहीं रखते अर्थात वह नास्तिक हो चुके हैं लेकिन कभी उन्होंने सोचा कि इस पृथ्वी को किसने बनाया ।जो कि लाखों साल पहले बहुत ही गर्म हुआ करती थी उसका तापमान धीरे-धीरे कम कैसे हुआ ?उस पर मनुष्य का जीवन संभव कैसे हुआ? इतने कार्य केवल परमात्मा के विधान अनुसार ही हो सकता है ।ऐसा कार्य केवल परमात्मा ही कर सकते हैं ।परमात्मा के बिना कुछ भी नहीं है ।हम मनुष्य को भी परमात्मा ने ही अपने स्वरूप बनाया है ।कुछ लोग परमात्मा मानते हैं ,लेकिन उनको भक्ति साधना करने का तरीका नहीं पता है कई प्रकार की गलत साधनों में इधर-उधर भटकते रहते हैं जिससे उनको कोई लाभ प्राप्त नहीं होता ।वे सोचते हैं कि हम परमात्मा की इतनी भक्ति करते हैं फिर भी हमें लाभ क्यों नहीं होता हम फिर भी दुखी क्यों होते हैं इनका कारण केवल उनके गलत भक्ति साधना है भक्ति करने योग्य केवल कबीर साहेब है देवी देवता भक्ति करने योग्य नहीं है उनका भी जन्म व मृत्यु होता है। सही भक्ति साधना के बारे में जानने के लिए कृपया अवश्य देखिए साधना टीवी रात 7:30 से 8:30।

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